Sunday, 17 July 2011

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gajendra singh khangar

3 comments:

  1. jai gajanan mata jai grah kundar jai khangar

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  2. राष्ट्र धर्म और जुझारू संस्कृति के जनक
    महाराजा खेत सिंह खंगार
    अशोक सूर्यवेदी
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    वीर प्रसूता पावन भू पर , वीर खंगारों सी संतान !
    सदियों का इतिहास बताता ,खंगार वीर थे बड़े महान !
    खंग अंग जो धारण करते कहलाते थे वो खंगार !
    जूनागढ़ में जन्मे थे एक राजन ऐसे खेत खंगार !
    शेरों से बिन शस्त्र वो लड़ते बज्र देह वाले थे खेत !
    खड्ग धार जब रण में डटते बैरी नवते सैन्य समेत !
    दिल्ली पर शासन करते थे राजन प्रथ्वीराज महान !
    मित्र बनाया खेत सिंह को बड़ी दिनोदिन उनकी शान !
    विजय महोबा किया खेत सिंह उदल ना सह पाया वार !
    आल्हा और परमाल से योद्धा रण से छोड़ भागे संग्राम !
    खंगार वीर का लौह मना दिल्ली पति ने महोबे माह !
    राजतिलक कर खेत सिंह का दिल्ली शासन की दी छांह !
    आतंक तभी गौणों का सीमा लाँघ गया सिर होकर पार !
    खेत सिंह ने छीन लिया तब वेत्रवती का तीर कुडार !
    चैन की साँसे दी जनता को गोणों का कर के संहार !
    वेत्रवती के पावन तट पर भवन बनाया गढ़ कुंडार !
    प्रथ्वी राज मुदित मन भरी खेत सिंह की जय जयकार !
    जूझ के जीने मरने वालों का ही धाम बना है गढ़ कुंडार !
    तभी तारें की भूमि पर गौरी ने दे दी ललकार !
    क्षमा दान पा गीदड़ ने फिर सिंहों पर कर दीन्हा वार !
    रणसींगा बज उठा युद्ध का भूमि तराइन में ललकार !
    हिंदी हिन्दू हिंद के रक्षक कूंद पड़े रण ले तलवार !
    हुआ युद्ध तब महा भयंकर बिजली सी चमकी तलवार !
    लावा फूट पड़ा आँखों का बनकर लोहू पी असिधार !
    हा पत्नातुर हुआ बिधाता सर्व खर्व का दाता आज !
    वीर प्रश्वनी भू पर टूटी गद्दारी की भरकम गाज !
    प्रथ्वीराज छले गए रणमें हतप्रभ राह गया वीर समाज !
    हाय तराइन चींख पड़ी साँपों से कैसे बंध गया बाज !
    लेकिन जाने से पहले वो करतब दिखा गए चौहान !
    बिन आँखों के तीर चलाकर मार गिराया था सुल्तान !
    क्षात्र धर्म को किया कलंकित जयचन्द्र ने बनकर गद्दार !
    अपने घर में आग लगाकर कौन बना है सूबेदार !
    गद्दार के संग गद्दारी कर दी पीठ में घौंपी थी तलवार !
    घर के भीतर फूट हुयी तो बनी मुसल्लों की सरकार !
    त्राहिमाम कर उठा सनातन देख मुसल्ला अत्याचर !
    स्वर्ण सुंदरी के लोभी वे मर्यादा पर करते वार !
    मित्र सखा संरक्षक छीना अनहोनी ने कर प्रहार !
    ना हुए निराश खेत सिंह जी करते रहे वार पर वार !
    दिल्लीपति का शोक मना ले इतना समय नहीं था पास !
    क़तर द्रष्टि देख रही थी उनकी और सभी की आस !
    राष्ट्र धर्म सर्वोच्च मानकर हिन्दू शासन दिया करार !
    खंड जुझौती राज्य बनाया जन जन को सौंपी तलवार !
    एक जुझारू नीति बनाकर रक्कास का कर दिया प्रसार !
    सीमा को निज पुत्र सौंप कर शिशु को रक्षक दिया करार !
    नारी राष्ट्र ध्वजा भारत की निर्बल हमें नहीं स्वीकार !
    वीर प्रश्वनी माताएं भी शस्त्र करें अब अंगीकार !
    खड्ग थमा दी पुरुषों को देकर सीमा का अधिभार !
    और खंगोरिया महिलाओं को दुर्गा शक्ति का अवतार !
    सामंत मित्र और सैन्य मिलकर संघ बनाया तब खंगार !
    जुझौती खंड हित जूझा है जो खंग आरोति वह खंगार !
    राष्ट्र धर्म के हित चिंतन को संघ बनाया था खंगार !
    वेत्रवती से चम्बल तक फैली वीर खंगारों की सरकार !
    धर्म प्रिय थे रा खेत सिंह किया धर्म का बहुत प्रसार !
    मां गजानन शक्तिपीठ मंदिर बनवाया गढ़ कुंडार !
    स्वाभिमान और देश की खातिर खंग अंग जो करते धार !
    विजय सदा उनकी ही चेरी जो दुश्मन पर करते वार !
    सदा समर में जीती शक्ति नहीं सुहाए हैं मनुहार !
    यदि समर से मुह मोड़े तो उस शासन को है धिक्कार !
    राष्ट्र धर्म और क्षात्र धर्म का पाठ पढ़ा गए हैं महाराज !
    विजय पराजय ना लख जुझौ यही सिखा गए हैं महाराज !
    जब तक नीर बहे बेतवा साक्षी जब तक गढ़ कुंडार !
    वीर ! दिवाकर गाथा गए यूँ ही तेरी जय जय खंगार !!!!
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    जय सौराष्ट्र --- जय गिरनार !!!
    जय जुझौती----- जय कुंडार!!!

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  3. jai gajanan mata ki jai girnar jai grah kundar.

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